माता-पिता की प्रॉपर्टी में किसका कितना अधिकार है? अपना हक और कानून की जानकारी प्राप्त करे………

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Property News 2023

आजकल की नई पीढ़ी को समाज में गहरे परिर्वतन दिखाई दे रहा है । जिसमें परंपरागत सोच को आज कल के यूवक छोड़ कर नए सोच को प्राथमिकता दे जा रहे हैं । जिसके तहत जीवन जीने के तरीके में बहुत सारे बदलाव आ रहे हैं और इसमें प्रॉपर्टी और उसके हक में भी बदलाव देखे जा रहे हैं इसमें दौर में बेटियों को प्रतीक संपत्ति में समान अधिकार दिलवाने वाले कानून के महत्व को समझना अत्यंत महत्वपूर्ण हो गया है ।

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यदि आप अभी यह जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं की माता-पिता की प्रॉपर्टी में किसका कितना अधिकार या किसका कितना हक है और इसके कानून के बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो इसके संबंधित सभी प्रकार की जानकारी आपको ऐसे पोस्ट के माध्यम से प्राप्त होगा जिसकी सहायता से आप सभी अपने प्रॉपर्टी की जानकारी को प्राप्त कर पाएंगे एवं अपने हक के लिए लड़ पाएंगे ।

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यदि आपके भी यह सोच है की माता-पिता की प्रॉपर्टी में केवल उनके लड़कों का ही अधिकार होता है तो हम आपको यह जानकारी दे दें की 1956 में परित हिंदू सक्सेशन एक्ट के तहत बेटियों को पैतृक संपत्ति में समान हिस्सा पाने का अवसर प्राप्त कर सकते हैं । 2005 के संशोधन के तहत यह स्पष्ट कर दिया गया है कि बेटियों को पैतृक संपत्ति में उनके पिता के समान हिस्से के अधिकार पाने का अवसर प्राप्त कर सकते हैं ।

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नया कानून के तहत बेटियों को पैतृक संपत्ति में कितना हिस्सा प्राप्त होगा?

हमें बहुत ज्यादा रिसर्च करने के बाद यह जानकारी प्राप्त हुई है कि 1956 में पारित हिंदू क्षेत्र एक्ट के तहत बेटियों को पैतृक संपत्ति में समान हिस्सा पानी का अवसर प्राप्त कर सकते हैं 2005 के संशोधन के तहत या स्पष्ट कर दिया गया है कि बेटियो को पिता के संपत्ति में समान हिस्सा ले सकते है । अब बेटी के जन्म से ही पिता की संपति में उसका हिस्सा तय कर दिया होता है । जैसा कि बेटो का हिस्सा पिता के संपत्ति में तय रहता है ।

माता-पिता के संपत्ति में अधिकार की दिशा निर्देश?

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भारतीय कानून के तहत अब माता-पिता की संपत्ति को दो भागों में विभाजित कर दिया जाता है जिसमें पैतृक संपत्ति और स्व अर्जित संपत्ति होते हैं –

पैतृक संपति :- इस संपत्ति में मानव वंश की चार पीढ़ियों तक विरासत में मिला होता है, और जो विभाजित नहीं होती | इस प्रकार की संपत्ति में बेटी और बेटे को बराबर हिस्सा प्राप्त कर सकते है | जबकि 2005 से पहले इसमें सिर्फ बेटों का अधिकार होता था | जिसे 2005 के बाद बदल दिया गया |

स्व-अर्जित संपत्ति :- इस सम्पति में पिता द्वारा अर्जित संपत्ति जैसे जमीन या घर खरीदते हैं, तो उसमें बेटी का अधिकार नहीं हो सकता है | उसमे केवल पिता के पुत्र का ही आधिकारी होता है | पिता को इस प्रॉपर्टी के उपयोग और वसीयत का अधिकार प्राप्त होता है |

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यदि आप अपने परिवार के भविष्य को सुरक्षित देखना चाहते हैं, तो संपत्ति वसीयत (Property Will) करवाना आवश्यक है | जिसमे आप सभी अपने हिसाब से वसीयत बनवाकर आप निर्णय ले सकते हैं, कि आपकी संपत्ति किसके नाम जाएगी और उसका प्रबंध कैसे करे? इससे आपके परिवार के बीच विवादों की संभावना कम होगा, और आपकी इच्छाओं के अनुसार वित्तीय योजना बन पायेगे |

बेटियों के हक़ की पहचान?

आज के बदलते समय और समाज में बदलाव का संकेत देखने को मिलता है, जिसमे बेटियों को पैतृक संपत्ति में समान हिस्सा मिलने का अधिकार है | कानूनी रूप से इसे भारतीय समाज ने महिलाओं के अधिकारों को समर्थन देना है, यह परिवर्तन समाज के नये दौर की मानवता के लिए एक महत्वपूर्ण है | जिससे समाज का सुधार हो सके और महिलाओं को अपना पहचान प्राप्त हो सके |

भारतीय समाज ने अपनी सोच में बदलाव लाये है, जिसमे हिंदू सक्सेशन ऐक्ट के संशोधन द्वारा बेटियों को पैतृक संपत्ति में समान हिस्सा प्राप्त होने का अवसर प्रदान किया जा रहा है | यह नया दौर समाज के दृष्टिकोण में बड़ा बदलाव ला सकते है, और बेटियों को उनके हक की पहचान करने में काफी मदद मिल पायेगी |

यह आर्टिकल हम उन सभी बेटियों तक पहुंचाना चाहते हैं जिसमें पैतृक संपत्ति के अधिकार के महत्व के बारे में वे सभी जानना चाहते थे और मैं कानून और समाज में हो रहा है परिवर्तन की जानकारी को वह समझ सके और अपने हक के लिए लड़ सके और परिवार की रक्षा कर सकें । जिसमें आपको बेटियों के हक के संबंधित सभी प्रकार की जानकारी देखने को मिल गई होगी जिसकी सहायता से आप सभी अपने हक के लिए लड़ पाएंगे और अपना अधिकार प्राप्त कर पाएंगे और समाज में अपनी एक पहचान प्राप्त कर पाएंगे ।

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