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How will 'Aditya-L1' survive the fierce heat of the Sun?

Aditya-L1 Launch: सूर्य की भयंकर गर्मी से कैसे बचेगा यह ‘आदित्य-L1’?

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आज का दिन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के लिए ऐतिहासिक है। आज ISRO ने अपना पहला सूर्य मिशन आदित्य-L1 लॉन्च किया है। यह मिशन सूरज की सतह से 1.50 करोड़ डिग्री सेल्सियस तक की गर्मी का सामना करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

सूरज की सतह का तापमान करीब 5500 डिग्री सेल्सियस होता है, जो धरती पर सबसे गर्म स्थानों से भी कहीं अधिक है। सूर्य के केंद्र का तापमान तो और भी अधिक है, जो 1.50 करोड़ डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। ऐसे में किसी भी अंतरिक्ष यान को सूरज के पास भेजना एक बड़ी चुनौती है।

How will 'Aditya-L1' survive the fierce heat of the Sun?

आदित्य-L1 मिशन को इस चुनौती को पार करने के लिए कई तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है। इन तकनीकों में शामिल हैं:

  • एक विशेष प्रकार का कांच जो सूरज की गर्मी को अवशोषित कर लेता है।
  • एक विशेष प्रकार का धातु जो सूरज की गर्मी को दूर प्रतिबिंबित करता है।
  • एक विशेष प्रकार का इंजन जो सूरज के गुरुत्वाकर्षण से दूर रखने में मदद करता है।

सूर्य का तापमान कैसे झेलेगा Aditya L-1

भारत के ISRO का ISTRAC और यूरोपीय स्पेस एजेंसी के सैटेलाइट ट्रेकिंग सेंटर, दोनों मिलकर मिशन आदित्य L 1 का ट्रैकिंग करेंगे।

क्या होता है लैंग्वेज प्वाइंट में?

लैंग्वेज प्वाइंट अंतरिक्ष में एक ऐसी जगह है जहाँ किसी पिंड को छोड़ देने पर वह वहीं स्थिर रह जाता है। यह जगह गुरुत्वाकर्षण के तीन बलों के बीच संतुलन में होती है। सूर्य का गुरुत्वाकर्षण पिंड को सूर्य की ओर खींचता है, लेकिन पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण उसे वापस पृथ्वी की ओर खींचता है। साथ ही, पृथ्वी और सूर्य के बीच का गुरुत्वाकर्षण बल पिंड को सूर्य और पृथ्वी के बीच स्थिर रखता है।

Aditya L-1 क्या करेगा?

सूर्य की ऊपरी परत का अध्ययन करने के लिए, भारत के आदित्य और पेलाड उपग्रहों को L1 बिंदु पर एक साथ तैनात किया जाएगा। सूर्य के अध्ययन से अन्य ग्रहों के अध्ययन और व्यवहार को समझने में मदद मिलेगी।

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